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हर नौकरीपेशा की नौकरी के कुछ साल में यह चिंता हो जाती है कि आज तो ठीक है, लेकिन जब नौकरी नहीं होगी तब आय कैसे होगी. यानी रिटायरमेंट के बाद की आय की चिंता. इसका समाधान एनपीएस (नेशनल पेंशन स्कीम) के जरिए किया जा सकता है. एनपीएस का मतलब है नेशनल पेंशन स्कीम.
एनपीएस एक पेंशन योजना है. इस योजना में अपने रिटायरमेंट के बाद के जीवन के लिए निवेश किया जाता है. व्यक्ति के निवेश और उस पर मिलने वाले रिटर्न से एनपीएस खाता बढ़ता है.
रिटायर होने के बाद इसी पैसे से सरकार पेंशन देती है. यहां पर रिटायरमेंट की उम्र को 60 साल माना जा रहा है. रिटायर होने पर या 60 वर्ष की आयु के होने पर खाता बंद करने का विकल्प होता है. खाता बंद करते समय एक मुश्त या जरूरत के हिसाब से रुपया भी निकाला जा सकता है. बचे हुए पैसे से एक वार्षिकी उत्पाद (annuity plan) खरीदना पड़ता है. ध्यान दें पूरी राशि का इस्तेमाल भी एन्युटी प्लान भी खरीद सकते हैं. एन्युटी प्लान (वार्षिकी) क्या के तहत एक बीमा कंपनी को एक मुश्त पैसा दिया जाता है और इसके बदले वह कंपनी पूरी ज़िन्दगी पेंशन देनी की व्यवस्था करती है. इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि अगर इस खाते में 10 लाख रुपये हैं और उस समय ब्याज 6 प्रतिशत है. कंपनी 10 लाख रुपये लेकर आपको आजीवन हर वर्ष 60,000 (10 लाख X 6%) रुपये देगी. अगर मासिक आय का विकल्प चुना जाता है, तब हर महीने 5,000 रुपये मिलेंगे.
एक बात और, वार्षिकी या एन्युटी प्लान कई स्वरूप में आते हैं. जैसे की आप चाहें तो आपके बाद आपके पति या पत्नी को भी पेंशन जारी रह सकती है.आप अपनी ज़रूरत के अनुसार विकल्प चुन सकते हैं.
एनपीएस में चार सेक्टर होते हैं
एनपीएस खाता खोलने के कई तरीके हैं. आप किस तरीके से खाता खोलते हैं, उस बात से तय होता है, कि आप कैसे एनपीएस के तहत आते हैं.
केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के लिए
राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए
निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए
आम नागरिकों (सिटीजन) के लिए
हकीकत यह है कि इन खातों में ज्यादा अंतर नहीं है. अगर नियोक्ता से भी योगदान चाहिए, तो उनके अनुसार एनपीएस खाता खोलना होगा या फिर पुराने खाते की जानकारी देनी होगी. सरकारी एनपीएस खातों में निवेश के नियम कुछ अलग होते हैं.
एक आदमी एक ही एनपीएस खाता खोल सकता है. जब कोई एनपीएस अकाउंट खोलता है, तो उसे एक PRAN (Permanent Retirement Account Number) मिलता है. एक व्यक्ति के पास केवल एक ही PRAN हो सकता है. इसका मतलब दूसरा PRAN नहीं खोला जा सकता है. PRAN पूरी तरह पोर्टेबल है. यानी अगर एनपीएस अकाउंट शिफ्ट करना है, तो नया अकाउंट खोलने की ज़रूरत नहीं है. पुराने खाते को ही शिफ्ट किया जा सकता है.
किसी बैंक शाखा में जाकर एनपीएस खाता खोला जा सकता है. आधार की मदद से भी एनपीएस खाता खोला जा सकता है.
एनपीएस में दो तरह के अकाउंट होते हैं. एनपीएस टियर 1 और एनपीएस टियर 2. इनमें से केवल एनपीएस टियर 1 ही रिटायरमेंट पेंशन अकाउंट है. टियर 2 अकाउंट एक म्यूच्यूअल फण्ड की तरह है. खाताधारक जब चाहे पैसे निकाल सकता है.
गौरतलब है कि एनपीएस में रिटर्न की गारंटी नहीं है और न ही सरकार हर वर्ष रिटर्न की घोषणा करती है. निवेश करते समय यह बताया जा सकता है कि पैसा कैसे निवेश करना है. एनपीएस खाता खोलने का बाद चाहें तो यह निवेश का पैटर्न बदला भी जा सकता है.
यहां पर निवेश के कई विकल्प हैं -
इक्विटी फण्ड (E) में पैसा लगाया जा सकता है
सरकारी बोंड्स (G) में पैसा लगाया जा सकता है
कॉर्पोरेट बांड्स (C) में पैसा लगाया जा सकता है
इसमें फंज मेनेजर का चयन भी करना पड़ता है.
टिप्पणियां
यहां पर निवेश के दो तरीके हैं. निवेशक (E), (G) या (C) (ऊपर बताया गया है) में डाल सकता है. कॉर्पोरेट सेक्टर एनपीएस और आल सिटीजन्स मॉडल एनपीएस ग्राहकों के लिए इक्विटी फण्ड (E) में निवेश करने की सीमा अधिकतम 50% प्रतिशत है. सरकारी एनपीएस में यह सीमा 15% है.
अब एनपीएस में निवेश पर टैक्स लाभ मिलते हैं. कुछ खास स्थिति में एनपीएस से कुछ पैसा निकालने की अनुमति है. गंभीर बीमारियों की इलाज़ के लिए, बच्चों की उच्च शिक्षा या विवाह के लिए या घर खरीदने या बनाने के लिए अपने एनपीएस खाते से कुछ पैसे निकाले जा सकते हैं.