Friday, 30 August 2019

आपकी रिटायरमेंट प्लानिंग को नुकसान पहुंचाती हैं ये 4 गलतियां


retirement plan
रिटायरमेंट प्लानिंग बहुत जरूरी है. इसके जरिये यह पता लगाते में मदद मिलती है कि रिटायरमेंट के लिए अभी आपको कितनी बचत करनी चाहिए और कहां निवेश करना चाहिए. लेकिन, यह इन पहलुओं तक ही सीमित नहीं है. इसके साथ जुड़े अन्य मसलों में चूक होने पर रिटायरमेंट की प्लानिंग पटरी से उतर सकती है. यहां हम रिटायरमेंट प्लानिंग से जुड़ी उन 4 गलतियों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे बचना चाहिए.


यहां हम रिटायरमेंट प्लानिंग से जुड़ी उन 4 गलतियों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे बचना चाहिए. 
1. अन्य लक्ष्यों की अनदेखी 
बेशक रिटायरमेंट की प्लानिंग महत्वपूर्ण है. लेकिन, अन्य लक्ष्यों की अनदेखी नहीं करें. सेबी पंजीकृत इंवेस्टमेंट एडवाइजर गौरव मश्रूवाला कहते हैं, "रिटायरमेंट प्लानिंग के साथ अन्य खर्चों, मसलन बच्चों की उच्च शिक्षा, उनकी शादी इत्यादि के लिए भी प्लान करना चाहिए."

ऐसे लक्ष्यों के लिए प्लानिंग न करने पर आपके रिटायरमेंट का लक्ष्य खटाई में पड़ सकता है. एचडीएफसी पेंशन प्लान के सीईओ सुमित शुक्ला कहते हैं, "अन्य महत्वपूर्ण लक्ष्यों की प्लानिंग न करने पर आप इन्हें पूरा करने के लिए रिटायरमेंट की रकम का इस्तेमाल कर सकते हैं. रिटायरमेंट फंड का रुख बदलना बड़ी गलती बन सकता है." बच्चों की शिक्षा के अलावा देखा गया है कि लोग घर खरीदने, बच्चों की शादी, मेडिकल इमरजेंसी इत्यादि के लिए ईपीएफ का पैसा निकाल लेते हैं. इससे रिटायरमेंट की जरूरतों के लिए बहुत कम पैसा बचता है.

2. नियमित आमदनी की प्लानिंग नहीं 
अपने रिटायरमेंट को सुखद बनाने के लिए जरूरी है कि नियमित आमदनी का जरिया बना रहे. जुटाई गई रकम से धीरे-धीरे पैसा निकालना बहुत अच्छा विकल्प नहीं है. एन्युटी में निवेश कर नियमित इनकम बनाई जा सकती है. हालांकि, इनका सालाना रिटर्न बहुत कम करीब 6.5 फीसदी होता है. इस पर टैक्स भी लगता है. वैसे, जानकार सलाह देते हैं कि रिटायरमेंट की रकम के एक हिस्से को एन्युटी में निवेश करना चाहिए. यूटीआई रिटायरमेंट सॉल्यूशंस के सीईओ बलराम भगत कहते हैं, "एन्युटी जिंदगी भर के लिए गारंटीशुदा इनकम है. अपने कुछ पैसे को इसमें लगाने में समझदारी है. फिर भले ही एन्युटी से मिलने वाला रिटर्न थोड़ा कम ही क्यों न हो." मर्सर में इंडिया बिजनेस लीडर (रिटायरमेंट) अनिल लोबो भी इस बात से सहमति जताते हैं. वह कहते हैं, "नियमित गारंटीशुदा इनकम से रिटायर हो चुके लोगों को बड़ी राहत पहुंचती है." 60 साल में तो ज्यादातर लोग अपने पैसे को मैनेज कर लेते हैं. लेकिन, बाद के वर्षों में यह काम कर पाने में मुश्किल पेश आती है. लोबो के अनुसार, "चूंकि एन्युटी से मिलने वाला रिटर्न कम होता है और इस पर टैक्स भी लगता है. इसलिए इस पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहा जा सकता है."

इसे देखते हुए बाकी की रकम ग्रोथ आधारित एसेट में निवेश करने की जरूरत है. इससे रिटायरमेंट की रकम लंबे समय तक चल पाती है.

3. रिटायरमेंट के बाद की प्लानिंग नहीं 
एक्सपर्ट कहते हैं कि रिटायरमेंट की उम्र आते ही रिटायरमेंट की प्लानिंग रुक नहीं जानी चाहिए. मश्रूवाला कहते हैं, "रिटायरमेंट के बाद के चरण की प्लानिंग करना बेहद अहम है. वित्तीय जरूरतें क्रिकेट में तीन स्टंपों की तरह हैं. इसमें लिक्विडिटी (इमरजेंसी के लिए), नियमित इनकम और बची हुई रकम की ग्रोथ शामिल हैं. कमाई के चरण में जैसे कोई 5-6 महीने का इमरजेंसी फंड बनाता है. ठीक वैसे ही रिटायरमेंट के बाद भी ऐसा ही इमरजेंसी फंड होना चाहिए."

 4. सभी कामों से छुट्टी 
रिटायरमेंट के बाद किसी न किसी काम में लगे रहना जरूरी है. एक्सपर्ट कहते हैं कि जो लोग रिटायरमेंट के बाद सभी कामों से छुट्टी कर लेते हैं, उनके बीमार पड़ जाने की आशंका ज्यादा होती है. रिटायरमेंट के दौरान बोरियत से न‍िपटना कठिन होता है. इसके चलते तनाव आता है. लोबो कहते हैं, "वैसे भारत में बुजुर्गों के लिए मौके कम हैं. पर, फिर भी कुछ काम मिल सकता है. रिटायर हो चुके लोगों को यह काम लेना चाहिए."


Retirement planning is the process of determining retirement income goals and the actions and decisions necessary to achieve those goals. Retirement planning includes identifying sources of income, estimating expenses, implementing a savings program, and managing assets and risk.

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Tuesday, 27 August 2019

क्यों जरुरी है रिटायरमेंट योजना?

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इससे पहले कि हम चर्चा शुरू करे एक सफल retirement planning (रिटायरमेंट प्लानिंग) की योजना पर, यह जानना जरुरी है की retirement planning क्या है और हमे क्यों करनी चाहिए?

Retirement planning से हमारा तात्पर्य है रिटायरमेंट के लिए बचत के आवंटन की और यह जीवन की महत्वपुर्ण निर्णयों में एक है। Retirement planning का असल मकसद है आर्थिक स्वतंत्रता हासिल करना । हमे रिटायरमेंट के लिए बचत इसलिए करना चाहिए क्योकि यह हमारे स्वयं के जीवन के विषय में है।

हम सब आराम से retirement करना चाहते है परन्तु एक सफल रिटायरमेंट लक्ष्य को हासिल करने में विभिन्न
समस्याएँ है। समझदारी इसी में है की जल्द से जल्द निवेश शुरू करे वरना रिटायरमेंट के बाद होने वाली कठिनाई को झेलने के लिए तैयार रहे। शुरुवात में थोड़ी थोड़ी बचत करना शुरू करे, निवेश के लिए योजना बनाये और एक लम्बे समय की प्रतिबद्धता के साथ शुरू करे।

आपको retirement के लिए planning करना इन कारणवश जरुरी है-

१. रिटायरमेंट को अपनी तरह से व्यतीत करने के लिए

आप अपने retirement को कैसे बिताना चाहते है, यह निर्भर करता है की आप अपने जीवन में कितने पैसे बचत और निवेश किये है। जीवन में सभी लोगो का एक लक्ष्य होता है और रिटायरमेंट एक सही समय है अपने सारे लक्ष्य को सक्षम बनाने का और सारे सपनो को पूरा करने का परन्तु इसके लिए आपको आर्थिक तौर पर मजबूत होने की जरुरत है। वरना हमारी बुनियादी जरूरतों (जैसे की रोटी, कपडा और मकान) को पूरा करने की समस्या के बीच ही हम उलझे रहेंगे और सपने केवल सपने बनकर ही रह जायेंगे।
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retirement के लिए बचत करने का एक और महत्वपूर्ण कारण है आपके बच्चे। ज्यादातर लोगो को वित्तीय कठिनाईओ से गुजरना पड़ता है क्योकि उनके माता-पिता अपने रिटायरमेंट के लिए उपयुक्त योजना बनाने में असक्षम रहे थे। उनके महंगी दवाइया और बाकि खर्च को संभालना अपने खुद के परिवार के साथ एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य है आजके युग में माता पिता का भी यह कर्तब्य बनता है की अपनी retirement planning बनाये और सारा भारअपने बच्चो पर न थोप दे।
माता पिता होने के कारण यह जरुरी है की आप अपने बच्चो का और उनके करियर का ध्यान रखे न की अपनी वित्तीय कठिनाईओ का बोझ उनपर आने दे। इसलिए यह बहुत जरुरी है की रिटायरमेंट की बचत अपनी जीवन की शुरुवाती दौर से करना शुरू कर दे।
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माता पिता होने के कारण यह जरुरी है की आप अपने बच्चो का और उनके करियर का ध्यान रखे न की अपनी वित्तीय कठिनाईओ का बोझ उनपर आने दे। इसलिए यह बहुत जरुरी है की रिटायरमेंट की बचत अपनी जीवन की शुरुवाती दौर से करना शुरू कर दे

बढ़ती उम्र के साथ स्वास्थ का ख़राब होना काफी आम बात है और कई बार ऐसे परस्तिथि पैदा हो जाती है जहा आप काम करने के योग्य नहीं होते। उन परस्तिथियो में आपके द्वारा की गई बचत यह सुनिश्चित करती है की आपका अच्छा ख्याल रख्खा जा रहा हो। एक जरुरी प्रश्न यह है कि क्या आपने पर्याप्त बचत कर रख्खी है अपने भविष्य के स्वास्थ के देखभाल के लिए क्योकि यह बहुत महंगी हो सकती है और यह आपके रिटायरमेंट बचत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।



क्या आप अपने retirement के बाद भी काम करना चाहते है? यदि नहीं तो आपको अपने बचत की शुरुवात अभी से कर देनी चाहिए। जो लोग अपने रिटायरमेंट के लिए तैयारी नहीं करते उनको अक्सर अपनी परिवार के ज़रूरत के लिए काम करना पड़ता है।शायद ही ऐसा होता है की आप अपने पूरे जीवन तक कमाते रहेंगे इसलिए बचत एक बहुत ही एहम किरदार है अपने जीवन में।

ज्यादातर लोगो का यह मन्ना है की सोशल सिक्योरिटी फायदे काफी है आपके रिटायरमेंट के बाद जीवन को व्यतीत करने के लिए परन्तु ये काफी नहीं है आपके सारे रिटायरमेंट के खर्चो के लिए। ज्यादातर वित्तीय सलाहकारों का यह मन्ना है कि रिटायरमेंट के बाद एक अच्छा जीवन बिताने के लिए आपको अपने कमाई के लगभग ७०-७५% तक की जरुरत होगी।  यह देखा गया है की इन सोशल सिक्योरिटी बेनिफिट्स से केवल ४०-४५% तक ही पूरा हो पाता है। इसी कारणवश बचत करना बहुत जरुरी है क्योकि आप पूरी तरह से इन सोशल सिक्योरिटी फायदे पर निर्भर नहीं हो सकते।

यदि आप जल्दी रिटायर होने के बारे में सोच रहे हो, तो बचत की आदत शुरू से ही ढालना जरुरी है। जितनी जल्दी आप बचत करना शुरू करेंगे उतनी ही आसानी से आप अपने लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम होंगे। इसके अलावा शुरू से ही बचत करने में यह फायदा है की यह आपको ज्यादा समय देती है अपनी सारी गलतयो को सुधारने और उन कमीयो को पहचानने के लिए जो आपके लक्ष्य को पूरा करने में बाधा ला सकती है।


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Friday, 23 August 2019

रिटायर हो गए? आर्थिक प्लानिंग जारी रखिए

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आप अपनी पीठ ठोंकने से खुद को रोक नही पा रहे हैं, क्योंकि आपने एक लंबा सफर तय किया है जिसमें सिर्फ काम ही काम था, आराम के पल नही। अब जब आपने एक अच्छा बङा सेवानिवृत्ति कोष इकट्ठा कर लिया है तो आप और काम नही करना चाहते और फुरसत के पल गुजारना चाहते हैं क्योंकि आपका सेवानिवृत्ति काल पास आ गया है।

हम आपकी खुशी को कम नही करना चाहते लेकिन माफ करें – ये समय आपकी निवेश रणनीति को सुधारने का समय है क्योंकि ये लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। 

आपको लगातार इस पर नजर रखनी चाहिये कि आपकी रिटायरमेंट के बाद की आय आपकी रिटायरमेंट के पहले की आमदनी के 100 % से कम ना हो। आमतौर पर कहा जाता है कि ये सिर्फ 70 %ज्यादा होनी चाहिये। आपकी सोची हुई यात्राओं और नये शौकों के लिये ये खासकर जरूरी है। याद दिलाने की जरूरत नही है कि अभी भी आपके आगे लंबा जीवन है ,बढती हुई स्वास्थ्य देखभाल की कीमतें हैं , मुद्रास्फीति है और आपके ऐसेट से मिलने वाले रिटर्न पर लगने वाले कर हैं।

 ये कुछ बातें हैं जो आपके सपने को शक्तिशाली बनाने के लिये जरूरी हैं-

1.    एक पल के लिये भी ऐसा मत सोचिये कि आप अपने कोष के सिर्फ ब्याज पर जी लेंगे। आपको हमेशा कुछ धन खर्चों के लिये निकालना पङेगा चाहे आपको अच्छा लगे या नही। लगभग कितना ?  इसका उत्तर है कि पैसा इतना कम ना हो जो आपकी जीवनशैली को बर्बाद कर दे और इतना ज्यादा ना हो जो आपके संसाधनों को बहा दे। 

2.    अपने पोर्टफोलियो के लिये उपयुक्त उत्पादों को लगातार पहचानते रहें। विविधता महत्वपूर्ण चाबी है अर्थात आपके पास विभिन्न ऐसेट वर्ग होने चाहियें जिनसे आपके पोर्टफोलियो के रिटर्न सहज रहें ।सिर्फ किसी एक ऐसेट वर्ग में विविधता होने से कोई लाभ नही होगा।


3.    आर्थिक जगत के नये परिवर्तनों से लगातार संपर्क बनाये रखें। जो आज सच है जरूरी नही है कि वो कल भी सच हो। टैक्स के नियम बदलते रहते हैं, रोज नये आर्थिक उत्पाद बाजार में आते हैं। 


4.    योजनाओं को पूरी तरह विश्राम ना दें । आपने अपने ऐसेट्स को बङी मेहनत से बनाया है और आप ये उन्हीं को देना चाहेंगे जो इसके योग्य हैं। एक वसीयत बनायें जिससे आपके फंड और संपत्ति उसी तरह बांटे जायें जैसे आप चाहते हैं। आपको ऐसेट वितरण के लिये योजना बनाने की जरूरत है जिससे वो कम से कम कीमत और टैक्स देयता पर जमा और स्थानांतरित हो सकें।

5.    एन्युटी( इकट्ठा पैसा न निकालना) का ध्यान रखें। जब आप अपने रिटायरमेंट फंड से पैसा निकालें। आप अपने धन को पूरा निकालकर स्वयं भी संभाल सकते हैं लेकिन एन्युटी आपके कॉनट्रैक्ट को सुरक्षा प्रदान करती है जिसे आपने किसी आर्थिक संस्था से खरीदा है। 

हालांकि जब आप अपने आप योजना बनायें तो ये बातें ध्यान में रखें-


1. रिटर्न का समय- सेवानिवृत्ति काल में आरंभिक नुकसान आपकी लंबी अवधि योजनाओं को खटाई में डाल सकता है। आपके पोर्टफोलियो का समय पूरा होने से पहले ही जब आप पैसा निकाल लेते हैं तो ये उसपर दीर्घ कालीन प्रभाव डालते हैं। 

2.    डिविडेंट तथा ब्याज बनाम बिक्री 
आपको दोनो तरीकों की जरूरत है। आपके ऐसेट में से 4 %से ज्यादा पैसा निकालना अच्छा संकेत नही है। म्यूचुअल फंड निवेश में आपको डिविडेंट के तरीके से पैसा निकालने का विकल्प रखना चाहिये क्योंकि वो आपको टैक्स में लाभ दिलाता है। डिविडेंट को आप हमेशा दुबारा निवेश कर सकते हैं और ये आपके पोर्टफोलियो को दुबारा संतुलित करने में भी मदद करता है। 


साथ ही जो डिविडेंट आप प्राप्त करते हैं उन्हें आप लिक्विड फंड (जैसे म्यूचुअल फंड )में भी लगा सकते हैं और आप इन्हें जब चाहे तब निकाल सकते है। 


सामान्यतया आपको तीन महिने का कैश फ्लो आपने बैंक खते में रखना चाहिये जिससे आपकी जरूरतों की देख भाल होती रहे।

3.    सैलिंग निवेश-

आदर्श रूप से आपको अपने कैश फ्लो को वैसे ही देखते रहना चाहिये जैसे आप पोर्टफोलियो को दुबारा संतुलित करते हैं,क्योंकि हर साल जब भी आप अपने फंड को संतुलित और आवंटित करें तो आपको उस धन को निकाल लेना चाहिये जिसकी जरूरत आपको किसी अन्य ऐसेट में निवेश करने के लिये पङेगी। साथ ही ये लंबी अवधि में आपके फंड प्रबंधन और निकासी शुल्क को कम करने में मदद भी करेगा।

4.    टैक्स देयता-
याद रखें - ये जरूरी नही है कि सेवानिवृत्ति के बाद आप निम्न टैक्स वर्ग में ही रहेंगे। इसलिये अपने निवेशों की योजना बनाते समय आप मौजूदा टैक्स संरचना के तहत मिलने वाले लाभों का भी ध्यान रखें।

निश्चित रूप से अब आप ये सोच रहे होंगे कि सेवानिवृत्ति के बाद भी आपको काफी काम करना है। घबराईये मत, ऐसा बिलकुल नही है। इस काम का काफी हिस्सा आप पहले ही निपटा सकते हैं। लेकिन हां, थोङा काम हमेशा चलता रहेगा । क्योंकि कोई भी काम न करना आपको निष्क्रिय बना सकता है तो इसलिये थोङा बहुत काम करते रहिये। 

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Tuesday, 20 August 2019

रिटायरमेंट के लिए कहां करें निवेश?

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कौन से विकल्प उपलब्ध हैं?

इक्विटी: रिटायरमेंट की वित्तीय योजना के बारे में आमतौर पर शेयरों को नहीं चुना जाता है। अगर आप शेयरों में निवेश जल्दी शुरू करते हैं तो आपके निवेश में ज्यादा फायदा हो सकता है। 

बीमा: रिटायरमेंट की योजना में बीमा काफी लोकप्रिय है। विशेषज्ञों की राय में इसे जोखिम कवर की तरह देखना चाहिए। निवेश की तरह नहीं। 
प्राविडेंट फंड और पीपीएफ : सर्वकालिक तौर पर पसंदीदा विकल्प। हमारे पुरखों का मानना था कि इन योजनाओं में जोखिम कम है। 
फिक्स्ड डिपाजिट: सुरिक्षत, लेकिन मुद्रास्फीति के कारण कमजोर प्रतिफल। 
म्यूचुअल फंड्स:  काफी लोग निवेश करते हैं। विशेषज्ञों की सलाह का फायदा मिल जाता है। 

प्रापर्टी : लंबी अवधि में लगातार लाभ देने वाली संपत्ति। खासतौर से रीयल एस्टेट में तेजी को देखते हुए। तरलता की समस्या। हर किसी के पास इतना ज्यादा धन निवेश के लिए नहीं होता। 
फिर आपके विकल्प क्या हैं?

आप्शन 1. पेंशन प्लान

रिटायरमेंट के लिए आदर्श विकल्प है। आपके पोर्टफोलियो में डेट निवेश कुशन का काम करता है और विविधीकरण करता है। इसके फायदे हैं :

i. अगर आप एक लाख रुपए तक इन फंडों में लगाते हैं तो आपको कर योग्य आय में कटौती का लाभ मिलता है। आपकी कर योग्य आय में कमी आती है और आप कम टैक्स चुकाते हैं। 

iii. रिटायर होने के बाद आप एक तिहाई धन निकाल सकते हैं जो कर मुक्त होता है। बाकी धन आपके एनुटी प्लान में लगाया जाता है। इससे आप तिमाही या मासिक आमदनी का विकल्प चुन सकते हैं। 

विकल्प 2: यूनिट लिंक्ड पेंशन प्लान

अगर आप थोड़ा सा जोखिम लेने को तैयार हों तो ये अच्छी योजनाएं हैं। कुछ विकल्पों पर आप जा सकते हैं :

i. आप आक्रामक इक्विटी स्कीम में निवेश कर सकते हैं। 
ii. आप जरूरत के मुताबिक विभिन्न स्कीमों में धन लगा सकते हैं (जिनमें डेट से लेकर इक्विटी व अन्य शामिल हैं) स्विच करने में कैपिटल गेन टैक्स पर छूट मिलती है। ट्रांजैक्शन फीस भी नहीं लगती। (कुछ कंपनियां चार्ज लेती हैं।) 
iii. म्यूचुअल फंडों के विपरीत आप एंट्री लोड से दूर रह सकते हैं। 
ये कुछ विकल्प हैं। डेट, बांड, डिबेंचर, नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट्स भी उपलब्ध हैं। यह इस पर निर्भर करता है कि आप कैसे निवेश करना चाहते हैं और कितना जोखिम लेना चाहते हैं। 
टिपः मिश्रित विकल्प अपनाएं बेहतर प्रतिफल मिलेगा। 

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Friday, 16 August 2019

रिटायरमेंट के बाद भी कैसे बने रहें रॉकस्टार

रिटायरमेंट के लक्ष्य को आज ही निर्धारित करने में कैपिटलस्टार आपका साथ देगा।
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 ब्रिजिंद द गैप के रिपर्ट के मुताबिक भारत में सिर्फ 33 फीसदी लोगों के पास रिटायरमेंट प्लान है। भारत में छोटी अवधि के लक्ष्यों को प्राथमिकता देते है। बड़ी रकम के लिए जरूरी निवेश की कम जानकारी होती है। नर्सिंग होम खर्च के लिए सिर्फ 19 फीसदी भारतीय प्लान करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार 56 फीसदी कमाने वाले भारतीय बचत और निवेश नहीं करते है जबकि 53 फीसदी भारतीय छोटी अवधि के लक्ष्य के लिए बचत करते हैं। वहीं 45 फीसदी भारतीय भविष्य की जगह वर्तमान में पैसे खर्च करते हैं जबकि 69 फीसदी मानते हैं कि वे रिटायरमेंट की उम्र के बाद भी काम करेंगे। इधर 54 फीसदी लोग अपना व्यवसाय शुरू करने की इच्छा रखते हैं।

जोखिम के लिहाज से एफडी में निवेश सुरक्षित होता है, लेकिन इसमें सुरक्षा के साथ रिटर्न काफी कम होता है। सिर्फ एफडी निवेश से महंगाई को मात नहीं दे पाएंगे इसलिए लंबी अवधि के लक्ष्य पूरे करने के लिए एफडी में निवेश करना काफी नहीं है। लिहाजा रिटायरमेंट के लिए सिर्फ एफडी के भरोसे ना रहें बल्कि इक्विटी में निवेश पर महंगाई को मात देने वाले रिटर्न देनी की क्षमता है। इसलिए अपने पोर्टफोलियो में सही एसेट एलोकेशन जरूरी है।

जैसे की आप इक्विटी, डेट, गोल्ड जैसे विकल्प में एसेट एलोकेशन में निवेश कर सकते है। लंबी अवधि के लिए निवेश पर 90 फीसदी निवेश इक्विटी म्यूचुअल फंड में करें और 10-20 फीसदी डेट में निवेश करें। वहीं रिटायरमेंट के लिए एनपीएस भी सही विकल्प है, इसमें निवेश से टैक्स बचत भी है


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Tuesday, 13 August 2019

रिटायरमेंट के लिये कहां निवेश करें?

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जो भी ये कहता है कि ग्राहकों के लिये ज्यादा से ज्यादा विकल्प उपलब्ध होना अच्छा है निश्चित रूप से उसे मार्केटिंग की जानकारी नही है। 

एक प्रयोग ये बताता है कि लोगों को जब 6 विकल्प में से चुनने के लिये कहा गया तो उन्हें कम समय लगा जबकि 24 विकल्पों में से चुनाव करने के लिये उनका वार्तालाप बहुत लंबा चला।

बहुत अधिक विकल्पों के साथ ग्राहक चुनाव करने के बोझ तले दब जाता है। क्या ऐसा ही सेवानिवृत्ति योजनाओं के साथ हो रहा है ? क्या यही कारण है कि समझदार लोग सेवानिवृत्ति प्लान लेना टालते जा रहे हैं ?

आजकल विभिन्न कारण हैं जिनसे रिटायरमेंट की योजना बनना जरूरी हो गया है, जैसे लंबी जीवन अवधि, बढते हुए चिकित्सा खर्चे, मुद्रास्फीति आदि। फिर भी रिटायरमेंट प्लान लेने वालों की संख्या कम है। 

तो आप एक बार उपलब्ध विकल्पों पर नजर क्यों नही डालते-

इक्विटी- परंपरागत रूप से ये सेवानिवृत्ति प्लान के लिये उपयुक्त नही माने जाते, लेकिन अगर आप जल्दी शुरू करते हैं तो यो आपके निवेशों को उछाल दे सकते हैं। 

बीमा- ये सेवानिवृत्ति योजने के लिये प्रयोग होने वाला एक उपयुक्त साधन है लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि इसे केवल जोखिम सुरक्षा के रूप में प्रयोग करना चाहिये, न कि एक निवेश माध्यम के रूप में । 

प्रोविडेंट फंड तथा सरकारी फंड – सदाबहार पसंदीदा विकल्पों में से एक, हमारे बङे बूढे हमेशा से इन कम जोखिम वाली योजना में विश्वास रखते हैं।

फिक्सड डिपॉजिट — सुरक्षित व विश्वसनीय , लेकिन मुद्रास्फीति के समय के साथ ये कम रिटर्न दे सकते हैं। 

म्यूचुअल फंड-  ये विकल्प अक्सर सुझाये जाते हैं। इसमें पेशेवरों का अनुभव और विशेषज्ञता साथ में मिलता है।

प्रॉपर्टी- लंबी अवधि के लिये पूर्णतया प्रोत्साहित किया गया ऐसेट.खासकर रीयल ऐस्टेट में उछाल के बाद। लेकिन सबके पास इसमें निवेश करने के लिये धन नही होता। 

तो आपके पास क्या विकल्प हैं—

विकल्प एक - पेंशन प्लान
ये सेवानिवृत्ति के लिये आदर्श हैं क्योंकि ये आपके पोर्टफोलियो को ऋण योजनाओं का सहारा उपलब्ध कराते हैं और आपके पोर्टफोलियो को विविधता प्रदान करते हैं।

इनके प्रमुख लाभ हैं-

1.    अगर आप 1 लाख रूपये तक का निवेश इन योजनाओं में करते हैं तो आप अपनी टैक्स योग्य आमदनी में छूट पा सकते हैं। इसका मतलब है कि आपकी टैक्स योग्य आय 1 लाख रूपये से नीचे आती है तो आप को कम टैक्स देना पङता है। 


2.    अपनी सेवानिवृत्ति के बाद अपने फंड मूल्य में से एक तिहाई तक राशि निकाल सकते हैं वो भी कर मुक्त।  आपकी बचा हुआ धन एन्युटी प्लान में निवेश किया जायेगा।  जिसमें से आप मासिक या त्रैमासिक आमदनी पाने के लिये विकल्प चुन सकते हैं। ( नोट- एन्यूटी टैक्स योग्य है)

विकल्प दो- यूनिट लिंक्ड पेंशन योजना

अगर आप थोङे से जोखिम को उठा सकते हैं और अपनी पॉलिसी की नियमित जांच कर सकते हैं तो यूलिप निवेश का एक अच्छा विकल्प है।

यहां कुछ तरीके हैं जिनसे आप इनके बारे में जान सकते हैं –

1.    आप अपने फंड को प्रभावशाली इक्विटी योजना में निवेश कर सकते हैं। 
आप अपने फंड को जैसे और जब जरूरत हो अलग अलग योजनाओं में ले जा लकते हैं ( ऋण से इक्विटी या किसी अन्य में ) । स्विच करने पर कैपिटल गेन टैक्स नही लगता और धन निकासी ( ट्रांजैक्शन) शुल्क भी नही लगता(कुछ कंपनियां शुल्क वसूलती हैं) 

2. आप प्रविष्टी भार ( ऐंन्ट्री लोड) से बच सकते हैं जब आप अपने यूलिप में दुबारा इक्विटी फंड डालते हैं । 
ये केवल कुछ ही विकल्प हैं। इनके अतिरिक्त ऋण उत्पाद, बॉन्डस, डिबेंचर, राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) आदि विकल्प भी उपलब्ध हैं। ये आप पर निर्भर करता है कि आप अपने धन को कैसे निवेश करना चाहते हैं और कितना जोखिम उठा सकते हैं। 


क्या अभी भी चुनाव करना मुश्किल है ? एक सुझाव है- इन सभी का मिश्रण आपको सर्वश्रेष्ठ रिटर्न दे सकता है। 

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Friday, 9 August 2019

रिटायरमेंट की हैं प्लानिंग, इन बातों को ना करें नजरअंदाज

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रिटायरमेंट के लिए हम सब कब चिंता करते हैं? बच्चों की शादी या शायद परिवार की तमाम जिम्मेदारियां पूरी करने के बाद लेकिन blog के जरिए हमारी यही कोशिश है कि आप अपने रिटायरमेंट के लक्ष्य के प्रति थोड़े जागरूक हो जाएं और बाकी लक्ष्यों के साथ इसके लिए भी प्लानिंग शुरू कर दें। 

रिटायरमेंट के समय इन बातों का रखें ध्यान

रिटायरमेंट के समय नियमित आय की जरूरत होती है क्योंकि आय के बाकी स्रोत खत्म हो जाते है। 

रिटायरमेंट प्लानिंग में गलतियां

सिर्फ FD, स्मॉल सेविंग स्कीम पर आश्रित रहना गलत है। इन विकल्पों में लॉक-इन के साथ रिटर्न कम होता है। रिटर्न पर टैक्स से और कम मुनाफा मिलता है।

रिटायरमेंट के लिए क्या करें?

रिटायरमेंट के लिए मार्केट लिंक्ड म्यूचुअल फंड में निवेश करें। टैक्स के बाद भी बेहतर रिटर्न मिलता है। डिविडेंड पे-आउट की बजाय SWP यानि सिस्टेमैटिक विड्रॉल प्लान चुनें। इमरजेंसी फंड के राशि का मूल्यांकन करें।


Retirement planning is the process of determining retirement income goals and the actions and decisions necessary to achieve those goals. Retirement planning includes identifying sources of income, estimating expenses, implementing a savings program, and managing assets and risk.

Capitalstars is a SEBI registered investment advisor. Schedule a call with Capitalstars investment consultant or drop a mail at backoffice@capiltalstars.in and we will get in touch with you. You may also call us on 9977499927.



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Wednesday, 7 August 2019

Will in the digital age: Legal requirements and safeguards to be ensured for enforcement

 capitalstars
The requirement to make a valid will keeping in mind the new-age digital assets is highlighted again in the recent unfortunate demise of the CEO of a Canadian company that owes its customers $190 million in cryptocurrency.

The new age will take care of the inheritance of digital assets to the beneficiaries and help should also be forthcoming from the likes of Google/Facebook /WhatsApp and similar platforms for providing access to the information of an account holder to his/her legal heirs.
In this column, we closely examine the various legal issues relating to the difficulties that a beneficiary may face, while inheriting any property under a will; and the precautions which one must exercise while preparing a will.

Will and codicil

A testamentary disposition of property means a disposition of property which would be bought into effect after death. A testamentary disposition is generally effected by a will or by a codicil. We have discussed the salient features of a will in the first column published in January 2019.

Under the orthodox Hindu system, it was construed that the property, if not previously distributed during the lifetime of the deceased, automatically passed to his heirs, after he dies. So far as Hindus are concerned, it was in Bengal that the testamentary power of Hindus was first recognized and settled.

The first important prejudicial announcement was made in 1772. This is popularly known as Buddha's case. The will of the Raja of Nuddea, the testator, bequeathing the entire zamindari in favor of his eldest son while excluding his all other sons, was held to be perfectly valid.

The personal laws applicable to an individual play an important role and a will should be written keeping this in mind. As an example, the Mohammedan laws as applicable to a specific sect allow only one-third of the estate to be given under a will and the remaining estate is distributed in terms of the personal laws. Similarly, a will by a Christian may be required to be made again upon the change in marital status.

Legal Requirements for a valid will

The requirement of a valid will is that the testator must have known and approved the contents.

A person of sound mind, not being a minor, is capable of executing a will. It is necessary under the Indian laws that the will must be executed by the testator in the presence of two witnesses and the said two witnesses must have signed the will as witnesses in the presence of a testator. If this requirement is not complied with, the will may be rendered invalid or void.

Under the Indian laws, there is a provision for privileged wills as well, which may be in writing or may be made by word of mouth. These are restricted to wills made by any soldier under special circumstances.

Requisite of a valid will

-IT IS A VOLUNTARY ACT
The execution of a will is a voluntary gratuitous act on the part of the testator whereby the person expresses the intention with regard to the inheritance of his asset upon his demise. The wills obtained by fraud, coercion, undue influence or importunity are not valid.

-FRAUD & COERCION
The Indian laws define fraud as any act committed by a person with the intent to deceive. It includes active concealment of a fact. Coercion means committing or threatening to commit any act that is barred under the Indian Penal Code. Undue influence is where a person is in a position to dominate the will of another and uses this position to obtain an unfair advantage.

Importunity which takes away the free exercise of the testator’s own mind is another ground under which a will can be challenged. Whether or not the persistence/pestering of a person did lead to the writing of a will would depend upon the facts of each case.

-MOST COMMON OBJECTIONS
The most common objections seen while disputing the will before a court of law are a forgery, unsound mind and undue influence. In order to circumvent the issues stated above, we strongly advise the following safeguards while executing a will:
• Obtain a certificate of the doctor on the date of the execution of the will that should clearly state that the testator has been examined by the doctor and he/she is of a sound mind and capable of independently making decisions;
• Video record the execution of the will by the testator and two witnesses in the presence of each other. During the recording pertinent questions may be asked from the testator and the witnesses to corroborate that they are aware of their actions;
• The doctor issuing the certificate of good health may also attend the execution of the will and be video graphed;
• Registration of the will with the office of Sub Registrar of Assurances.

The author is Partner at the law firm SNG & Partners.


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Monday, 5 August 2019

What Is the Purpose of a Retirement Plan?

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The purpose of a retirement plan is to provide financial stability so people can leave their full-time jobs at retirement. Planning has become quite a challenge because of the rising cost of living--especially health care. According to a 2009 Saturday Evening Post article, the number of people older than 65 in the workforce had jumped from 3.8 million to 6.1 million in just 10 years.

What is in a Plan?

A retirement plan includes a variety of savings tools such as IRAs, 401ks, annuities, mutual funds, and other investments. These financial instruments have different advantages and disadvantages and should be chosen carefully, based on expected needs, tolerance for risk, and available funds.

How Much?

Financial planners usually estimate that you will need about three-fourths of your pre-retirement income per year for however many years you plan to live. For example, if you were making $50,000 per year and you planned to live for 20 years after retiring, you would need about $750,000 stashed away for retirement.

IRAs

IRA stands for an individual retirement account. The advantages of using one of these plans are reduced tax liability. There are two types of IRAs: Roth and traditional. Roth IRAs allow the money to grow and be withdrawn tax-free. Money contributed to a traditional IRA is tax-deductible the year it is contributed.

401k

These are retirement plans sponsored through an employer. Often, an employer will match, at least in part, money that is contributed. These funds are usually tax-deductible in the year they are contributed.

Mutual Funds

These are, in essence, a bundle of stocks bought together to minimize risk. The bundles are managed by professional investors who attempt to maximize the return for individual investors over time.

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आप जानते हैं नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) क्या है.

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