रिटायरमेंट प्लानिंग बहुत जरूरी है. इसके जरिये यह पता लगाते में मदद मिलती है कि रिटायरमेंट के लिए अभी आपको कितनी बचत करनी चाहिए और कहां निवेश करना चाहिए. लेकिन, यह इन पहलुओं तक ही सीमित नहीं है. इसके साथ जुड़े अन्य मसलों में चूक होने पर रिटायरमेंट की प्लानिंग पटरी से उतर सकती है. यहां हम रिटायरमेंट प्लानिंग से जुड़ी उन 4 गलतियों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे बचना चाहिए.
यहां हम रिटायरमेंट प्लानिंग से जुड़ी उन 4 गलतियों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे बचना चाहिए.
1. अन्य लक्ष्यों की अनदेखी
बेशक रिटायरमेंट की प्लानिंग महत्वपूर्ण है. लेकिन, अन्य लक्ष्यों की अनदेखी नहीं करें. सेबी पंजीकृत इंवेस्टमेंट एडवाइजर गौरव मश्रूवाला कहते हैं, "रिटायरमेंट प्लानिंग के साथ अन्य खर्चों, मसलन बच्चों की उच्च शिक्षा, उनकी शादी इत्यादि के लिए भी प्लान करना चाहिए."
ऐसे लक्ष्यों के लिए प्लानिंग न करने पर आपके रिटायरमेंट का लक्ष्य खटाई में पड़ सकता है. एचडीएफसी पेंशन प्लान के सीईओ सुमित शुक्ला कहते हैं, "अन्य महत्वपूर्ण लक्ष्यों की प्लानिंग न करने पर आप इन्हें पूरा करने के लिए रिटायरमेंट की रकम का इस्तेमाल कर सकते हैं. रिटायरमेंट फंड का रुख बदलना बड़ी गलती बन सकता है." बच्चों की शिक्षा के अलावा देखा गया है कि लोग घर खरीदने, बच्चों की शादी, मेडिकल इमरजेंसी इत्यादि के लिए ईपीएफ का पैसा निकाल लेते हैं. इससे रिटायरमेंट की जरूरतों के लिए बहुत कम पैसा बचता है.
2. नियमित आमदनी की प्लानिंग नहीं
अपने रिटायरमेंट को सुखद बनाने के लिए जरूरी है कि नियमित आमदनी का जरिया बना रहे. जुटाई गई रकम से धीरे-धीरे पैसा निकालना बहुत अच्छा विकल्प नहीं है. एन्युटी में निवेश कर नियमित इनकम बनाई जा सकती है. हालांकि, इनका सालाना रिटर्न बहुत कम करीब 6.5 फीसदी होता है. इस पर टैक्स भी लगता है. वैसे, जानकार सलाह देते हैं कि रिटायरमेंट की रकम के एक हिस्से को एन्युटी में निवेश करना चाहिए. यूटीआई रिटायरमेंट सॉल्यूशंस के सीईओ बलराम भगत कहते हैं, "एन्युटी जिंदगी भर के लिए गारंटीशुदा इनकम है. अपने कुछ पैसे को इसमें लगाने में समझदारी है. फिर भले ही एन्युटी से मिलने वाला रिटर्न थोड़ा कम ही क्यों न हो." मर्सर में इंडिया बिजनेस लीडर (रिटायरमेंट) अनिल लोबो भी इस बात से सहमति जताते हैं. वह कहते हैं, "नियमित गारंटीशुदा इनकम से रिटायर हो चुके लोगों को बड़ी राहत पहुंचती है." 60 साल में तो ज्यादातर लोग अपने पैसे को मैनेज कर लेते हैं. लेकिन, बाद के वर्षों में यह काम कर पाने में मुश्किल पेश आती है. लोबो के अनुसार, "चूंकि एन्युटी से मिलने वाला रिटर्न कम होता है और इस पर टैक्स भी लगता है. इसलिए इस पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहा जा सकता है."
इसे देखते हुए बाकी की रकम ग्रोथ आधारित एसेट में निवेश करने की जरूरत है. इससे रिटायरमेंट की रकम लंबे समय तक चल पाती है.
3. रिटायरमेंट के बाद की प्लानिंग नहीं
एक्सपर्ट कहते हैं कि रिटायरमेंट की उम्र आते ही रिटायरमेंट की प्लानिंग रुक नहीं जानी चाहिए. मश्रूवाला कहते हैं, "रिटायरमेंट के बाद के चरण की प्लानिंग करना बेहद अहम है. वित्तीय जरूरतें क्रिकेट में तीन स्टंपों की तरह हैं. इसमें लिक्विडिटी (इमरजेंसी के लिए), नियमित इनकम और बची हुई रकम की ग्रोथ शामिल हैं. कमाई के चरण में जैसे कोई 5-6 महीने का इमरजेंसी फंड बनाता है. ठीक वैसे ही रिटायरमेंट के बाद भी ऐसा ही इमरजेंसी फंड होना चाहिए."
4. सभी कामों से छुट्टी
रिटायरमेंट के बाद किसी न किसी काम में लगे रहना जरूरी है. एक्सपर्ट कहते हैं कि जो लोग रिटायरमेंट के बाद सभी कामों से छुट्टी कर लेते हैं, उनके बीमार पड़ जाने की आशंका ज्यादा होती है. रिटायरमेंट के दौरान बोरियत से निपटना कठिन होता है. इसके चलते तनाव आता है. लोबो कहते हैं, "वैसे भारत में बुजुर्गों के लिए मौके कम हैं. पर, फिर भी कुछ काम मिल सकता है. रिटायर हो चुके लोगों को यह काम लेना चाहिए."
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