Monday 21 October 2019

आर्थिक सुस्ती में बेहतर रिटायरमेंट प्लानिंग के टिप्स

रिटायरमेंट प्लानिंग करियर खत्म होने के साथ ही बंद नहीं होनी चाहिए, यह 20-25 साल तक की प्रक्रिया है। प्लानर्स का कहना है कि लोगों को अपने फाइनैंशल गोल के लिए ऐसेट एलोकेशन पर ध्यान देना चाहिए। उन्हें बाजार के हालात से प्रभावित नहीं होना चाहिए।
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अगर आप रिटायरमेंट की कगार पर हैं, तो आर्थिक सुस्ती का यह दौर शायद इससे गलत समय पर नहीं आ सकता था। रिटायरमेंट के लिए आपने अभी तक जो बचत की है, उस पर मौजूदा आर्थिक हालात का असर पड़ सकता है। इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए? फाइनैंशल प्लानर्स का कहना है कि रिटायर होने वालों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। लैडर 7 फाइनैंशल एडवाइजर्स के फाउंडर सुरेश सदगोपन ने बताया, 'लोग अक्सर भूल जाते हैं कि प्लानिंग रिटायरमेंट के साथ खत्म नहीं हो जाती। यह लगातार चलने वाली प्रक्रिया है, जो करियर खत्म होने के 20-30 साल बाद तक चलती रहती है। अगर लंबी अवधि पर गौर किया जाए, तो फिलहाल के हालात का उस पर असर नहीं पड़ता।'

प्लानर्स का कहना है कि लोगों को अपने फाइनैंशल गोल के लिए ऐसेट एलोकेशन पर ध्यान देना चाहिए। उन्हें बाजार के हालात से प्रभावित नहीं होना चाहिए। सबसे पहला कदम यह होना चाहिए कि शुरुआती वित्तीय जरूरतों को सुरक्षित करें। गेटिंग यू रिच के फाउंडर और सीईओ रोहित शाह ने बताया, 'पहले रिटायरमेंट के शुरुआती साल की जरूरतों पर फोकस करें। यह देखें कि आपके पोर्टफोलियो से वह पूरा होगा या नहीं।' इस पैसे को लिक्विड फंड की तरह रखा जा सकता है।

रिटायरमेंट के लिए इकट्ठा किए गए पैसे या प्रॉविडेंट फंड का इस्तेमाल शुरुआती वर्षों में स्थिरता लाने के लिए किया जा सकता है। जिन लोगों को किराये पर घर देने या पेंशन इनकम हो रही है, उन्हें वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में आसानी होगी। ऐसे लोगों को बचे हुए फंड से निवेश करना चाहिए। TBNG कैपिटल एडवाइजर्स के फाउंडर और डायरेक्टर तरुण बिरानी ने कहा, 'निवेश करते समय अनुशासन बनाए रखना जरूरी है।'

रिटायरमेंट नजदीक आने पर इक्विटी यानी शेयरों में निवेश को घटाने की सलाह दी जाती है। हालांकि इक्विटी से पूरी तरह बाहर निकलना भी ठीक नहीं होगा। यह इकलौता ऐसा निवेश है, जिससे महंगाई दर की तुलना में कहीं अधिक रिटर्न मिल सकता है। उन्होंने बताया, 'फिक्सड इनकम की तरफ पूरी तरह से झुकाव की जरूरत नहीं है। भविष्य के लिए बचत करना सही है, लेकिन इसका इस तरह से बढ़ना जरूरी है कि आने वाले 25 साल तक आराम से गुजारा हो सके।'

रिस्क प्रोफाइल पर निर्भर करते हुए लोग इक्विटी में 20-30 पर्सेंट निवेश कर सकते हैं। शाह ने कहा, 'लोग इक्विटी को लेकर डिफेंसिव होने लगते हैं। अगर अभी तक एग्रेसिव अप्रोच अपना रहे थे, तो कम रिस्क वाली इक्विटी का विकल्प चुनने की कोशिश करें।' सदगोपन का कहना है कि रिटायरमेंट के बाद इक्विटी हाइब्रिड फंड में निवेश करना चाहिए। उन्होंने इसके साथ कुछ पैसा लार्ज और मिड कैप फंड में भी लगाने की सलाह ही। उन्होंने कहा, 'अगर आप रिटायर होने वाले हैं, तो मिड या स्मॉल कैप फंड में निवेश न करें।'

कर्ज को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए। बिरानी ने सुझाव दिया, 'क्रेडिट से बचें। केवल हाई ग्रेड के क्रेडिट देने वाले बैंक या पीएसयू फंड का सहारा लें।' जो लोग रिटायरमेंट प्लानिंग में रिस्क का ध्यान देते हुए एसेट में निवेश करते हैं, उन्हें भविष्य में ज्यादा परेशानी नहीं होती। वहीं, जो एग्रेसिव रिटर्न की उम्मीद लगाते हैं, उन्हें अपने निवेश पर दोबारा गौर करना पड़ता है।


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