Monday, 30 September 2019

How The Curse Of The Average Leads To Failed Retirement Plans

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Many financial plans are based on one very simple foundation. Unfortunately, using this foundation often is a mistake. The mistake is made in broad-based financial and retirement planning as well as investment planning.

I call this mistake the Curse of the Average.

A lot of data is available to us these days. Cheap, fast computing power and memory also are readily available to sort and manipulate the data.

It’s easy to find the average return of different investments over long periods of time. We also can mix those investments into any portfolio we want and look at the long-term results. We can develop investment strategies and see the returns they would generate over the long term.

Inflation rates over the years are readily available. Life expectancy can be estimated either for a person’s age group as a whole or by those in the age group who share variables such as lifestyle habits, education, income, and others.

The problem is that all these data points are only averages. Some of them are averages using many years of data. Other data points are the result of manipulating data and correlations that seemed to matter in the past and using them to project the future.

The data can be very helpful for policymakers. They also can be a good starting point for planning your finances. But for an individual, they should be only a starting point. Too many plans assume that the average long-term results will be the result in their cases. The problem is that the averages are composed of individual results that differ quite a bit from the average.
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Stock market returns are a good example. The average annualized return of the major U.S. stock market indexes is around 9%, depending on the stock index and time period. But it’s a very rare year when the indexes register a return at or near the historic average. Instead, the annual returns tend to be very different from the average. Plus, there tend to be long periods when the annual returns are well above the average (bull markets) or well below the average (bear markets).

The fate of your retirement plan doesn’t depend on the long-term average return of investments. It depends more on whether you retire early in a bear market, a bull market or some other type of market.

Life expectancy is another good example. Not many people live the average life expectancy for people born the same year. Because of inherited traits, lifestyle, environment, and luck, most people live either shorter or longer lives than the average expectancy.

As I said, the long-term averages are good starting points. You also need to ask what is different now or could be different in the coming years that would cause your experience to deviate from the average.

For some factors, you have to plan with some flexibility. Consider that a range of outcomes are possible and estimate how those outcomes would affect your plan and its results. Assign probabilities to different scenarios. Plan for the most likely scenario, but also have enough flexibility that you can adjust to results that are either better or worse than the most likely scenario.


Retirement planning is the process of determining retirement income goals and the actions and decisions necessary to achieve those goals. Retirement planning includes identifying sources of income, estimating expenses, implementing a savings program, and managing assets and risk.

Capitalstars is a SEBI registered investment advisor. Schedule a call with Capitalstars investment consultant or drop a mail at backoffice@capiltalstars.in and we will get in touch with you. You may also call us on 9977499927.



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Friday, 27 September 2019

केंद्रीय कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र कम करने वाली खबर को सरकार ने बताया अफवाह

केंद्रीय कर्मचारियों (Central Government) की सेवानिवृत्ति (Retirement) की आयु कम करने से जुड़ी खबरों का केंद्र सरकार ने खंडन किया है.

 capitalstarsकेंद्रीय कर्मचारियों (Central Government) की सेवानिवृत्ति (Retirement) की आयु कम करने से जुड़ी खबरों का केंद्र सरकार ने खंडन किया है. सूत्रों का कहना है कि सोशल मीडिया पर अफवाहें हैं कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु कम करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है, जो 1 अप्रैल, 2020 को लागू होगी. केंद्र सरकार ने कहा कि यह जानकारी पूरी तरह निराधार है. यह स्पष्ट किया जाता है कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है.


बता दें कि, बैकलॉग की समस्या, नई भर्ती और पदोन्नति में देरी, जैसी शिकायतें दूर करने के लिए केंद्र सरकार रिटायरमेंट के नए नियम तय करने जा रही है. सूत्रों के मुताबिक मौजूदा प्रपोजल में सेवानिवृत्ति आयु दो तरीके से तय होगी. पहली, कर्मी ने अगर 33 साल की सेवा पूरी कर ली हो और दूसरा, अगर उसकी खुद की आयु 60 साल हो गई हो. इस संबंध में वित्त मंत्रालय को प्रपोजल भेजा गया है. वहां से मंजूरी मिलने के बाद अगले वित्तीय वर्ष से सेवानिवृत्ति के नए नियम लागू कर दिए जाएंगे. वहीं सरकार ने सभी विभागों में पदों की समीक्षा भी शुरू कर दी है.


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Tuesday, 24 September 2019

सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र बदलने की तैयारी, सरकार ने बनाए दो मापदंड


 capitalstarsकेंद्र सरकार अपने अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु को कम करने जा रही है। हालांकि अभी जो प्रपोजल तैयार हुआ है, उसके तहत सेवानिवृत्ति की आयु दो तरीके से तय होगी। पहला कर्मचारी ने अगर 33 साल की सेवा पूरी कर ली हो या उसकी खुद की आयु 60 साल हो गई हो। सरकार के इस फैसले का सबसे ज्यादा असर सुरक्षा बलों पर पड़ेगा। चूंकि सैन्य एवं दूसरे सुरक्षा बलों में औसतन 22 साल के आसपास ज्वाइनिंग हो जाती है, इसलिए इनकी 33 साल की सर्विस 55 साल में ही पूरी हो जाएगी।
सातवें वेतन आयोग में भी इसका जिक्र
वहीं इस फैसले पर सरकार की दलील है कि यह कोई नई पहल नहीं है, सातवें वेतन आयोग में भी इसका जिक्र किया गया है। अगर सेवानिवृत्ति की इस योजना को लागू किया जाता है, तो बैकलॉग की समस्या दूर हो जाएगी। नई भर्तियों का रास्ता खुलेगा और जिन कर्मियों को समय पर प्रमोशन न मिलने की शिकायत रहती थी, वह भी दूर हो सकेगी। डीओपीटी सूत्रों का कहना है कि इस प्रपोजल पर काम शुरु हो चुका है।
तकरीबन हर विभाग में अधिकारियों और कर्मियों की सूची तैयार हो रही है और योजना को कई चरणों में लागू किया जाएगा। इसके वित्तीय प्रावधानों को लेकर भी रिपोर्ट बनाई जा रही है और वित्त मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद अगले वित्तीय वर्ष से सेवानिवृत्ति के नए नियम क्रियान्वित कर दिए जाएंगे।
जूनियर्स के प्रमोशन में बाधा
सूत्र बताते हैं कि 32 साल की सेवा के बाद किसी अधिकारी या कर्मचारी की वेतन श्रेणी में कोई बड़ा वित्तीय बदलाव नहीं होता, लेकिन वे साठ साल तक जब नौकरी करते हैं तो उनके जूनियर्स के प्रमोशन में बाधा आने लगती है। केंद्र सरकार का तर्क है कि 33 साल की सेवा या 60 साल की आयु, जो भी पहले आए, इसके मुताबिक सेवानिवृत्ति होने से सरकार ही नहीं, बल्कि दूसरे कर्मियों को भी फायदा होगा। लेटरल एंट्री स्कीम को अच्छे से लागू किया जा सकेगा।

वहीं पदोन्नति के नए अवसर पैदा होंगे तो नई जॉब की राह भी प्रशस्त होगी। इस तरीके से बैकलॉग की समस्या भी दूर हो जाएगी। इस योजना में आईएएस, आईपीएस से लेकर केंद्र सरकार की सभी श्रेणी की नौकरियां शामिल हैं।
अदालत ने कहा था रिटायरमेंट की उम्र हो एक
इसी साल 31 जनवरी को दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक सेवानिवृत्त अधिकारी देव शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया था। जिसमें कहा गया था कि गृह मंत्रालय चार माह में तय करे कि सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में सभी रैंकों में सेवानिवृत्ति की उम्र समान हो। अभी तक केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल 'सीआरपीएफ', भारत-तिब्बत सीमा पुलिस 'आईटीबीपी', सीमा सुरक्षा बल 'बीएसएफ' तथा सशस्त्र सीमा बल 'एसएसबी' में कमांडेंट से नीचे के पदों पर जवान 57 साल की उम्र में रिटायर हो जाते हैं।

डीआईजी और उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों की रिटायरमेंट की उम्र 60 वर्ष होती है। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल और असम राइफल्स में सभी रैंक 60 वर्ष की उम्र पूरी करके रिटायर होते हैं।
अलग-अलग है रिटायरमेंट उम्र
वहीं पश्चिम बंगाल में मेडिकल टीचर के लिए 65 साल, डॉक्टर की 62 साल और दूसरे पदों के लिए 60 साल की सेवानिवृत्ति आयु तय की गई है। सभी पदों के लिए आंध्रप्रदेश में 60, त्रिपुरा में 60, कर्नाटक में 60, असम में 60, बिहार में 60, मेघालय में 60, मध्यप्रदेश में 60, छत्तीसगढ़ में 60, नागालैंड में 60, गुजरात में 60, उत्तराखंड में 60, उत्तरप्रदेश में 60 और सिक्किम में 60 साल की आयु में रिटायमेंट होती है।

तेलंगाना, तमिलनाडु, गोवा, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर, मिजोरम, मणिपुर, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उड़ीसा में 58 साल की आयु में कर्मचारी या अधिकारी रिटायर होते हैं। झारखंड और केरल में सेवानिवृत्ति आयु 56 साल रखी गई थी। हालांकि इनमें कई राज्यों में सेवानिवृत्ति आयु घटती बढ़ती रही है। इसके अलावा विभिन्न पदों के लिए अलग अलग सेवानिवृत्ति आयु का भी प्रावधान रखा गया है। जैसे हरियाणा में तकनीकी कर्मियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 साल कर दी गई है। डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु को भी बढ़ाया गया है।
भारतीय सेना में सेवानिवृत्ति आयु 
जनरल- 62 साल  
लेफ्टिनेंट जनरल- 60 साल
मेजर जनरल- 58 साल
ब्रिगेडियर- 56 साल
कर्नल- 54 साल
सूबेदार मेजर- 54 साल
सूबेदार- 52 साल
नायब सूबेदार- 52 साल
हवलदार- 49 साल
नायक- 49 साल
सिपाही जीपी (एक्स)- 42 साल
सिपाही जीपी (वाई)- 48 साल
इंडियन नेवी में सेवानिवृत्ति आयु 
एडमिरल- 62 साल
वाइस एडमिरल- 60 साल
रीयर एडमिरल- 58 साल
कोमोडोर कैप्टन, एजुकेशन- 57 साल
कोमोडोर /कैप्टन- 56 साल
कमांडर- 54 साल
लेफ्टिनेंट कमांडर एवं इसके नीचे- 52 साल
एमसीपीओ 1,2- 57 साल
सीपीओ एवं इसके नीचे रैंक वाले सेलर- 52 साल
इंडियन एयरफोर्स में सेवानिवृत्ति आयु
एयरचीफ मार्शल- 62 साल
एयर मार्शल- 60 साल
एयर वाइस मार्शल- 58 साल
एयर कोमोडोर-फ्लाइंग ब्रांच- 56 साल
— — — — — —अन्य ब्रांच- 57 साल
ग्रुप कैप्टन (सेलेक्ट) फ्लाइंग ब्रांच- 54 साल
— — — — —अन्य ब्रांच- 57 साल
ग्रुप कमांडर / विंग कमांडर टाइम स्केल 
फ्लाइंग ब्रांच- 52 साल
मेट्रोलॉजिकल एंड एजुकेशन ब्रांच- 57 साल
अन्य ग्राउंड ड्यूटी ब्रांच- 54 साल
ब्रांच कमिशंड ऑफिसर- 57 साल

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Friday, 13 September 2019

आर्थिक संकट के दौर में रिटायर होने वाले लोग क्या करें?

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आर्थिक संकट के समय रिटायरमेंट
अगर आप रिटायर होने वाले हैं तो आर्थिक संकट का यह दौर शायद गलत समय पर आया है. रिटायरमेंट के लिए आपने अभी तक जो बचत की है, उस पर मौजूदा आर्थिक हालात का असर पड़ सकता है. सवाल यह है कि आपको इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए?
घबराने की नहीं है जरूरत
फाइनेंशियल प्लानर का कहना है कि रिटायर होने वालों को इस बात से परेशान होने की जरूरत नहीं है. लैडर 7 फाइनेंशियल एडवाइजर्स के फाउंडर सुरेश सदगोपन ने बताया, "लोग अक्सर भूल जाते हैं कि प्लानिंग रिटायरमेंट के साथ खत्म नहीं हो जाती. यह लगातार चलने वाली प्रक्रिया है, जो करियर खत्म होने के 20-30 साल बाद तक चलती रहती है. अगर लंबी अवधि पर गौर किया जाए, तो फिलहाल के हालात का उस पर असर नहीं पड़ता."
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शुरुआती जरूरतों पर दें ध्यान
प्लानर्स का कहना है कि लोगों को अपने वित्तीय लक्ष्य पूरे करने के लिए एसेट एलोकेशन पर ध्यान देना चाहिए. उन्हें शेयर बाजार के हालात से प्रभावित नहीं होना चाहिए. सबसे पहला कदम यह होना चाहिए कि शुरुआती वित्तीय जरूरतों को सुरक्षित करें.
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लिक्विड फंड में रखें रकम
गेटिंग यू रिच के फाउंडर और सीईओ रोहित शाह ने ईटी से कहा, "पहले रिटायरमेंट के शुरुआती साल की जरूरतों पर फोकस करें. यह देखें कि आपके पोर्टफोलियो से वह पूरा होगा या नहीं." इस पैसे को लिक्विड फंड की तरह रखा जा सकता है.
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निवेश जारी रखें
रिटायरमेंट के लिए जुटाई गयी रकम या प्रोविडेंट फंड का इस्तेमाल शुरुआती सालों में अपनी जरूरत में स्थिरता लाने के लिए किया जा सकता है. जिन लोगों को घर किराये या पेंशन से आमदनी हो रही है, उन्हें वित्तीय जरूरत पूरा करने में आसानी होगी. ऐसे लोगों को बचे हुए फंड से निवेश करना चाहिए.
शेयरों में थोड़ा निवेश करते रहें
TBNG कैपिटल एडवाइजर्स के संस्थापक तरुण बिरानी ने कहा, "आपको निवेश करते समय अनुशासन बनाए रखना जरूरी है." रिटायरमेंट नजदीक आने पर शेयरों में निवेश घटाने की सलाह दी जाती है. इक्विटी से पूरी तरह बाहर निकलना भी आपके लिए ठीक नहीं होगा. यह इकलौता ऐसा निवेश है, जिससे महंगाई दर की तुलना में कहीं अधिक रिटर्न मिल सकता है.
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अगले 25 साल का सोचें
रिटायर होने वाले लोगों को फिक्सड इनकम की तरफ पूरी तरह से झुकने की जरूरत नहीं है. भविष्य के लिए बचत करना सही है, लेकिन आपकी बचत पर रिटर्न इस तरह से बढ़ना जरूरी है कि आने वाले 25 साल तक आराम से गुजारा हो सके.

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जोखिम घटाने पर दें ध्यान
अपने रिस्क प्रोफाइल को समझते हुए आप शेयरों में 20-30% तक निवेश कर सकते हैं. शाह ने कहा, "रिटायर होने के बाद लोग इक्विटी को लेकर डिफेंसिव होने लगते हैं. अगर आप अभी तक एग्रेसिव अप्रोच अपना रहे थे, तो कम रिस्क वाली इक्विटी का विकल्प चुनने की कोशिश करें."
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मिड-स्मॉल कैप फंड से रहें दूर
सदगोपन का कहना है कि रिटायरमेंट के बाद आपको इक्विटी हाइब्रिड फंड में निवेश करना चाहिए. उन्होंने इसके साथ कुछ रकम लार्ज और मिड कैप फंड में भी लगाने की सलाह दी. उन्होंने कहा, "अगर आप रिटायर होने वाले हैं या हो चुके हैं, तो मिड या स्मॉल कैप फंड में निवेश न करें."
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सावधानी जरूरी है
आपको इस स्टेज पर कर्ज को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए. बिरानी ने सुझाव दिया, "क्रेडिट से बचें. केवल हाई ग्रेड क्रेडिट देने वाले बैंक या पीएसयू फंड का सहारा लें." जो लोग रिटायरमेंट प्लानिंग में रिस्क का ध्यान देते हुए एसेट में निवेश करते हैं, उन्हें भविष्य में ज्यादा परेशानी नहीं होती. जो एग्रेसिव रिटर्न की उम्मीद लगाते हैं, उन्हें अपने निवेश पर दोबारा गौर करना पड़ता है.


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Wednesday, 11 September 2019

रिटायरमेंट के बाद खाली हाथ नहीं रहना चाहते हैं तो निवेश के ये 3 तरीके अपनाएं

अच्छी चिकित्सा सुविधाओं के चलते शहरी इलाकों में औसत उम्र बढ़ी है. 80 और 90 साल की उम्र के लोगों को देखना असामान्य नहीं रहा है.
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अपने रिटायरमेंट की प्लानिंग में महंगाई की दर को जरूर ध्यान में रखें.
रिटायर हो चुके लोगों के सामने एक बड़ी चुनौती होती है. वे इस बारे में लगातार सोचते हैं कि उनकी रिटायरमेंट सेविंग्स जीवनभर कैसे चले. यहां तक कि अगर कोई व्यक्ति बड़ी समझदारी से काम करते हुए बचत करता है और ठीकठाक रकम जुटा लेता है तो भी गारंटी नहीं है कि रिटायरमेंट के बाद लंबे समय तक वह रकम चलती रहे. इसके पीछे तीन मुख्य बातें होती हैं. पहला, रिटायरमेंट के बाद लंबा जीवन, जल्दी रिटायरमेंट और घटती ब्याज दरें.

यूएन पॉपुलेशन फंड की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जीवन प्रत्याशा (लाइफ एक्सपेक्टेंसी) में बढ़ोतरी हुई है. 1994 में यह 60 साल थी. 2019 में यह बढ़कर 69 साल हो गई है. यह औसत उम्र है.

च्छी चिकित्सा सुविधाओं के चलते शहरी इलाकों में औसत उम्र बढ़ी है. 80 और 90 साल की उम्र के लोगों को देखना असामान्य नहीं रहा है. भविष्य में स्थिति और बेहतर होने की उम्मीद है.

इसने जरूरी कर दिया है कि अब आप रिटायरमेंट के बाद 20-25 साल को लेकर प्लानिंग करें. पहले इसके लिए 15-20 साल काफी होते थे. यह भी देखने में आया है कि लोग अब जल्दी रिटायर हो रहे हैं. इसका मतलब है कि उनके पास बचत करने के लिए कम समय है जबकि खर्च करने के लिए ज्यादा वक्त है.

ये सभी बातें ऐसे समय में हो रही हैं जब फिक्स्ड इनकम की ब्याज दरों में गिरावट जारी है. निवेश के परिदृश्य में बड़ा बदलाव आया है. एफडी पर सीनियर सिटीजन को करीब 7 फीसदी ब्याज मिल रहा है. सबसे आकर्षक विकल्प सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम पर ब्याज की दरें 8.6 फीसदी हैं. इसमें भी जल्द बदलाव संभव है.

हमने तीन विकल्पों की पहचान की है जिनका फाइनेंशियल प्लानर सुझाव देते हैं. ये रणनीतियां रिटायरमेंट में मंथली इनकम के लिए एक करोड़ रुपये का इस्तेमाल कैसे करती हैं, यह भी हमने बताया है. इन 3 स्ट्रैटेजी में फिक्स्ड इनकम विकल्पों पर निर्भर करने वाली ट्रेडिशनल एप्रोच, थोड़ा जोखिम लेने वाली मॉडरेट एप्रोच और बकेट स्ट्रैटेजी शामिल हैं.

क्या 1 करोड़ रुपये काफी है?
आज रिटायरमेंट सेविंग्स के लिए एक करोड़ रुपये की रकम काफी लगती है. कोई 60 साल का होने पर एन्युटी प्लान खरीदता है तो उसे जीवनभर करीब 70,000 रुपये की मासिक पेंशन मिल सकती है. लेकिन, निवेशक की मौत पर इसमें उत्तराधिकारियों को मूल रकम वापस नहीं मिलती है. अगर वह चाहता है कि उसके कानूनी उत्तराधिकारियों को एक करोड़ रुपये की मूल रकम मिल जाए तो उसकी इनकम करीब 52,000 रुपये प्रति महीना होगी. यह ठीक लगता है, है न?

लेकिन, सच में यह काफी नहीं है. 52,000 रुपये की पेंशन आज भले काफी लग रही हो, पर यह स्थिति ऐसी ही नहीं रहेगी. हर गुजरते दिन के साथ महंगाई खर्चों को बढ़ा देती है. यहां तक कि मामूली महंगाई की दर का भी असर पड़ता है. सालाना 6 फीसदी महंगाई की दर भी 10 साल में मासिक खर्चों को 90,000 रुपये पहुंचा देगी. 20 साल में यह 1.6 लाख रुपये हो जाएगी.

दूसरे शब्दों में कहें तो 20 साल में एन्युटी से पेंशन आज के मुकाबले एक-तिहाई रह जाएगी. आज रिटायरमेंट प्लानिंग में महंगाई को ध्यान नहीं रखने वाले व्यक्ति को बुढ़ापे के साल गरीबी में बसर करने पड़ सकते हैं.
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Monday, 9 September 2019

इस तरीके से आप खुद ही शुरू कर सकते हैं सिप में निवेश

आई-सिप इंस्ट्रक्शन को किसी भी समय रोक सकते हैं. इसके ल‍िए निवेशक को अपने नेटबैंकिंग पोर्टल से बिलर को डिलीट करना होगा.
आई-सिप इंस्ट्रक्शन को किसी भी समय रोक सकते हैं.
 इसके ल‍िए निवेशक को अपने नेटबैंकिंग पोर्टल
से बिलर को डिलीट करना होगा.
म्यूचुअल फंडों में निवेश करना दिनोंदिन आसान और सुविधाजनक हो रहा है. सिस्टेमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (SIP) को म्यूचुअल फंडों में निवेश के लिए काफी सुरक्षित तरीका माना जाता है. अब आप घर बैठे म्यूचुअल फंड में सिप को सेट कर सकते हैं. आई-सिप इसका आसान और सुरक्षित तरीका है. इसके जरिए ऑनलाइन सिप शुरू किया जा सकता है. इसके लिए एसेट मैनेजमेंट कंपनी के दफ्तर जाने की जरूरत नहीं है. न ही सिप करने के लिए फिजकल फॉर्म और प्रूफ अटैच करने की आवश्यकता है. क्या है जरूरी आई-सिप सुविधा का इस्तेमाल करने के लिए ये चीजें होनी चाहिए: -केवाईसी कम्लायंस -बैंक में खाता -इंटरनेट बैंकिंग सुविधा आई-सिप फॉर्म भरना होगा इसके लिए निवेशक को म्यूचुअल फंड की वेबसाइट इस्तेमाल करनी होगी. इसमें आई-सिप फॉर्म ऑनलाइन भरना होगा. फॉर्म में पैन, बैंक अकाउंट नंबर और सिप से जुड़े ब्योरे मसलन स्कीम का नाम, सिप की रकम, सिप की फ्रीक्वेंसी भरने पड़ते हैं. निवेशक फॉर्म में नॉमिनेशन भी रजिस्टर कर सकता है. साथ ही म्यूचुअल फंड एजेंट का एआरएन जोड़ सकता है.

यूनीक रजिस्ट्रेशन नंबर (URN) भी जनरेट करें सभी जानकारियां भर और जमा हो जाने के बाद यूआरएन जेनरेट होता है. इसे निवेशक की ई-मेल आईडी और मोबाइल नंबर पर भेजा जाता है. यह निवेशक की इंटरनेट बैंकिंग वेबसाइट पर आई-सिप रजिस्टर करने के लिए रेफरेंस नंबर के तौर पर काम करता है. नेट बैंकिंग पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन 10 दिनों के भीतर यूआरएन जेनरेट होता है. निवेशक को अपने बैंक के नेटबैंकिंग पोर्टल का इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ती है. बिल पेमेंट सेक्शन में निवेशक 'न्यू बिलर' के तौर पर म्यूचुअल फंड जोड़ सकता है. यूआरएन को तभी डालना चाहिए जब ऐसा करने के लिए कहा जाए. एक बार बिलर डिटेल जुड़ने पर बैंक वेरिफिकेशन के बाद बिलर एक्टिवेट कर देता है. बिलर डिटेल जोड़ते हुए निवेशक सिप की किस्त के लिए ऑटो डेबिट इंस्ट्रक्शन दे सकता है. किन बातों का रखें ध्यान -आई-सिप रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया केवल एक सिप इंस्ट्रक्शन के लिए है. किसी और स्कीम को जोड़ने के लिए अलग आई-सिप रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को पूरा करना होगा. -आई-सिप इंस्ट्रक्शन को किसी भी समय रोक सकते हैं. इसके ल‍िए निवेशक को अपने नेटबैंकिंग पोर्टल से बिलर को डिलीट करना होगा. इस पेज की सामग्री सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग (सीआईईएल) के सौजन्य से. गिरिजा गादरे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता का योगदान.

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Thursday, 5 September 2019

इस तरह करें रिटायरमेंट प्लानिंग; बुढ़ापा गुजरेगा शानदार, हर समय जेब में होंगे पैसे


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Retirement Planning: रिटायरमेंट की योजना पहले से ही बनाए रखना बेहतर फैसला होता है. हालांकि उससे भी बेहतर फैसला यह होगा कि आप रिटायरमेंट के बाद अपनी वित्तीय जरूरतों पर अभी से स्पष्ट हो जाएं. अधिकतर लोगों का मानना है कि उन्हें रिटायरमेंट के बाद अधिक पैसों की जरूरत नहीं पड़ने वाली है. हालांकि ऐसा सोचना सही नहीं है. रिटायरमेंट के बाद न सिर्फ आपकी जरूरतों बल्कि आपकी लाइफ स्टाइल भी आपके खर्च निर्धारित करती है. ऐसे में पहले से ही सुनिश्चित हो जाना चाहिए और रिटायरनमेंट प्लानिंग में रिटायरमेंट के बाद सभी प्रकार के खर्चों की भी गणना कर लेनी चाहिए. नीचे कुछ मानक दिए गए हैं जिनके आधार पर आप अपनी रिटायरमेंट प्लानिंग को एक बार फिर तय कर सकते हैं.

रिटायरमेंट के बाद की लाइफस्टाइल

ऐसा जरूरी नहीं है कि आप रिटायरमेंट के बाद आराम ही करना चाहिए, कुछ लोग रिटायरमेंट के बाद भी एक्टिव रहना चाहते हैं. रिटायरमेंट के बाद आप अपने ट्रैवलिंग के शौक से लेकर बहुत सी ऐसी एक्टिविटी करने की सोच रहे हों जो आप रोजगार अध्यक्ष रहते हुए नहीं कर पाएं हों तो ऐसी किसी भी परिस्थिति के लिए आपको सेविंग पर अधिक फोकस करना पड़ेगा. सेविंग का जनरल रूल ऑफ थंब है कि भविष्य के लिए बचत करने के लिए 70 फीसदी प्री-टैक्स इनकम को टारगेट करना चाहिए लेकिन अगर आप रिटायरमेंट के बाद भी एक्टिव रहना चाहते हैं तो यह 90 फीसदी होना चाहिए.

स्वास्थ्य
रिटायरमेंट प्लानिंग में स्वास्थ्य बहुत महत्त्वपूर्ण फैक्टर है लेकिन अधिकतर लोग इसे अधिक गंभीरता से नहीं लेते हैं. अधिकतर लोग यह मानकर चलते हैं कि जब वे रिटायर होंगे तो उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्या नहीं होगी लेकिन वास्तविक में स्थिति इसके ठीक उलट होती है. हो सकता है कि आपको या आपके जीवनसाथी को बड़ी स्वास्थ्य समस्या हो जिसे जिंदगी भर उपचार की जरूरत पड़ेगी, ऐसी परिस्थिति में आपको पहले से प्लानिंग करके चलना है और बड़ी राशि भविष्य के लिए जुटाकर रखनी है.

परिवार

आप शादीशुदा हैं या नहीं, आपके पास बच्चे हैं या नहीं, इसके आधार पर अपने रिटायरमेंट की प्लानिंग करें. आपको अपने और अपने जीवनसाथी के लिए इतनी राशि का इंतजाम पहले ही कर लेना चाहिए ताकि देखभाल के भी खर्च आराम से भुगतान कर सकें.

वित्तीय सलाहकार से सलाह

खुद से सभी निवेश की योजना बनाने की बजाय वित्तीय सलाहकार के साथ मिलकर इस पर काम करना अधिक बेहतर है. किसी इन्वेस्टमेंट एडवाइजर के साथ मिलकर फाइनेंसियल प्लानिंग और एसेट अलोकेशन के निर्णय से आप अपनी बचत और इन्वेस्टमेंट गोल को आसानी से हासिल कर सकेंगे. अगर आपने अभी तक किसी इन्वेस्टमेंट एडवाइजर की सलाह नहीं ली है तो अब जरूर ले लें. उनकी मदद से आपको अपने पोर्टफोलियो पर रिटर्न बढ़ाने में मदद मिलेगी.
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Tuesday, 3 September 2019

रिटायरमेंट के बाद क्या करें, कैसे कमाएं

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सेवानिवृत्ति के बाद भी खुद को व्यस्त रखने के साथ इनकम हासिल करने के कदम बढ़ाए जा सकते हैं। जब हम रिटायरमेंट के बारे में सोचते हैं तो घड़ी की सुइयों से बेपरवाह जिंदगी की तस्वीर बनाते हैं। एक खुशहाल रिटायरमेंट वाला जीवन ऐसा होना चाहिए, जो नौकरी या कारोबार में लंबे समय तक रहने के बाद आप अपनी अधूरी इच्छाओं को पूरा करने के साथ जिएं। अगर संभव हो तो आप रिटायरमेंट के बाद भी अपनी दिलचस्पी के मुताबिक काम कर इनकम का एक नया सोर्स बना सकते हैं। हम आपको यहां कुछ ऐसे आइडिया के बारे में बता रहे हैं, जो रिटायरमेंट के बाद आपके लिए उपयोगी हो सकते हैं।

अपना बिजनेस शुरू करें
अगर आप हमेशा अपने जहाज के कप्तान बनना चाहते थे, तो रिटायरमेंट आपके लिए अपने उस सपने को पूरा करने का मौका भी देता है। आप अपनी रुचि या जोश को एक बिजनस में भी बदल सकते हैं। हमारे एक क्लायंट ने हाल में एक बड़ी कंपनी में सीनियर मैनेजमेंट पोजिशन छोड़कर एक अकाउंटिंग पार्टनरशिप फर्म शुरू की है। एक अन्य मित्र ने परंपरागत भारतीय खिलौने और गेम्स बनाने और बेचने वाली फर्म लॉन्च की है। आप एक स्मॉल स्केल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट घर पर लगाकर ई-कॉमर्स साइट्स के जरिए अपने प्रॉडक्ट्स बेच सकते हैं। इन साइट्स की पहुंच ज्यादा होती है और इन पर बिक्री करने की कॉस्ट भी कम रहती है।

अपने कौशल से उठाएं लाभ
रिटायर्ड प्रफेशनल्स के पास अपनी फील्ड्स की काफी जानकारी होती है। इसी वजह से बहुत से लोग रिटायरमेंट के बाद कंसल्टेंसी भी शुरू करते हैं। कुछ लोग पुरानी कंपनियों के साथ भी असाइनमेंट्स के आधार पर जुड़ जाते हैं। कंसल्टिंग से आपको अपनी रफ्तार के मुताबिक काम करने की फ्लेक्सिबिलिटी मिलती है। साख बनने और क्लायंट्स की संख्या में वृद्धि के साथ आपकी इनकम में भी इजाफा होता है।

लिखने-पढ़ने का मजा
मेरी आंटी एक बड़ी ऐडवर्टाइजिंग कंपनी से क्रिऐटिव डायरेक्टर के तौर पर रिटायर हुई थीं। उन्हें लिखने और नई जगहों पर घूमने का शौक था। रिटायरमेंट के बाद वह ट्रैवल राइटर बन गईं। इससे उन्हें दुनिया में कई खूबसूरत जगहों पर जाने का मौका मिला और वहां की जानकारी देने वाले उनके आर्टिकल्स को प्रकाशित करने वाली मैगजींस उन्हें अच्छा पेमेंट भी करती थीं।

सामाजिक कार्यों का दायरा
अगर इनकम हासिल करना आपका मुख्य उद्देश्य नहीं है तो आप अपनी एक्सपर्टाइज और नॉलेज का इस्तेमाल एनजीओ के साथ जुड़कर भी कर सकते हैं। बहुत से चैरिटेबल संगठनों को अपने काम को आगे बढ़ाने के लिए एक्सपर्ट्स की मदद की जरूरत होती है। इससे आपको पहचान तो मिलेगी ही, साथ ही आपको किसी उद्देश्य के लिए काम करने का संतोष भी होगा। आप अपना एनजीओ भी शुरू कर सकते हैं। 

ब्लॉगिंग करें
यह सबसे मजेदार, आसान और रिटायर्ड पर्संस के लिए कमाईवाला माध्यम है। कम्प्यूटर इन दिनों सभी के घरों में होता है। चाहें तो अपने लिए लेपटॉप ले लीजिए, 25000 में आपका इंतजाम हो जाएगा। एक कम्प्यूटर को 5 लोग शेयर कर सकते हैं। शेड्यूल बनाकर। अपना ब्लॉग शुरू कीजिए और अपने अनुभवों के आधार पर लोगों को गाइड कीजिए। अपनी जिंदगी की कहानियां लिखिए, अपने मित्रों के बारे में लिखिए। आफिस के कुछ घटनाक्रम लिखें जो प्रेरणा देते हों या सबक सिखाएं। राजनीति की समीक्षा करें या समाज के लिए संदेश दें। जो दिल में आए करें। गूगल एडसेंस लोकप्रिय ब्लॉगर्स को पेमेंट भी करता है। वो भी डालर्स में। अत: मंहगाई बढ़ने की टेंशन भी नहीं। मंहगाई तो तभी बढ़ेगी ना जब डॉलर के दाम बढ़ेंगे और यदि डॉलर के दाम बढ़े तो आपकी इनकम अपने आप बढ़ जाएगी। कई लोग नौकरियां छोड़कर ब्लॉगिेंग कर रहे हैं। तकनीकी विषय का एक ब्लॉगर प्रतिदिन 3 घंटे काम करता है और प्रतिमाह 18 लाख रुपए कमाता है। 


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